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भगवान की भक्ति मात्र से मनुष्यों की हर मनोकामनाएं होती है पूर्ण- गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी- buxar district





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- बक्सर जिले के महान संत परम ज्ञानी गंगापुत्र श्री त्रिदंडी स्वामी जी का चतुर्मास उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जनपद के ऊंचाडीह में नागेश्वर महादेव मंदिर में जप तप के साथ चल रहा है इस दौरान श्री स्वामी अपने अनुयाइयों को प्रतिदिन संध्या काल में भागवत ज्ञान कथा का अमृत पान करा रहे है। इस दौरान उन्होंने कथा में श्रद्धालुओं को बताया कि राजा परीक्षित ने कलयुग को रहने के लिए चार स्थान दिए। जुआ, दारू पीने में,वेस्याबृति में,जीवों की हत्या में एवम स्वर्ण में,इसीलिए सोना अधिक नही पहनना चाहिए, परिक्षित ने गंगा का आश्रय लिया ,संतो से पूछते है , मरने वाले को क्या करनी चाहिए,उसी समय संतो के मध्य में सुकदेव जी प्रगट हो गए और कहा , हे परिक्षित आपका जो प्रश्न है वो लोक कल्याण करने वाला प्रश्न है,क्योंकि सबको सात दिन में ही मरना है, इसीलिए मरने वाले को तीन कार्य करना चाहिए, भगवान की कथा सुनो,दूसरा कीर्तन करे ,और तीसरा उसका स्मरण करे, बस इतना कर लेने से जीव का कल्याण हो जायेगा।

स्वामी जी ने कथा में कहा कि शुकदेव जी ने परिक्षित जी से अनेक कामनाओं के बारे में कहा, ब्रम्ह तेज की कामना हो तो बृहस्पति की उपासना करो, इंद्रियों में बल की कामना हो तो इंद्र की उपासना करो,संतान की कामना हो तो प्रजापतियों की उपासना करो,धन की कामना हो तो लक्ष्मी देवी की उपासना करो, अन्न की कामना हो तो अदिति देवी की उपासना करे,रूप की कामना हो तो गंधर्वों की उपासना करो, यश की कामना हो तो यज्ञ नारायण की उपासना करो,विद्या की कामना हो तो संकर की उपासना करे,गृहस्थ जीवन सुखी हो उसके लिए गौरी गणेश की उपासना करे, परिक्षित ने कहा महाराज कोई ऐसा उपाय नही की एक की उपासना से सारे कार्य हो जाए, तब शुकदेव जी ने कहा किसी के अंदर किसी प्रकार की कामना हो या न हो उसे भगवान की भक्ति करनी चाहिए,
आकामः सर्व कामों वा मोक्ष काम उदाराधी।।
तिव्रेन भक्ति योगेन यजेत पुरुषम परम।।


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