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दवाओं के छिड़काव के पूर्व लोगों को अनिवार्य रूप से जागरूक करें आशा कार्यकर्ता : वीबीडीसी




- कालाजार उन्मूलन को लेकर अधिकारियों ने की ब्लॉक लेवल टास्क फोर्स की बैठक
- दवाओं के छिड़काव के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं को दिए दिशा-निर्देश


(बक्सर):-  जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर दवाओं का छिड़काव जारी है। ऐसे में कार्यों की समीक्षा के लिए सदर प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स के सदस्यों ने दवाओं के छिड़काव का निरीक्षण किया। साथ ही, सदर प्रखंड स्थित ग्रामीण पीएचसी में बैठक भी की। जिसमें एसपी सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) पाउडर के छिड़काव के पूर्व बरती जानी वाली सावधानियों से लोगों को अवगत कराने पर विमर्श भी किया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार ने बताया, किसी भी चिह्नित गांव में एसपी पाउडर के छिड़काव के एक दिन पूर्व आशा कार्यकर्ताओं और फ्रंट लाइन वर्कर्स के द्वारा लोगों को जागरूक करना चाहिए। ताकि, ग्रामीण अपने घरों में छिड़काव के पूर्व सभी खाद्य सामग्री और अन्य चीजों ठीक से ढक लें। ताकि, उन खाद्य सामग्रियों पर दवा का छिड़काव होने से बचाया जा सके। वहीं, छिड़काव के दौरान बच्चों को घरों से दूर रखना चाहिए। वीबीडीसी ने बताया, कालाजार उन्मूलन के लिए हो रहे दवाओं के छिड़काव में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। बैठक में कालाजार के डीपीओ चंदन कुमार, सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार, सदर बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह, बीईई मनोज चौधरी के अलावा एसडब्लूसी की सीएचओ और सहयोगी संस्थान के प्रतिनिधि मौजूद रहें।
छिड़काव के दौरान ही करना है संभावित मरीजों को चिह्नित  :
डीपीओ चंदन कुमार ने बताया, छिड़काव के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को संभावित मरीजों को भी चिह्नित करना है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को एक फॉर्मेट उपलब्ध कराया गया है, जिसे लेकर वे घर-घर जाएंगी और निर्धारित सवाल का जवाब लेकर उस फार्मेट में भरेंगी। आशा अपने पोषण क्षेत्र के प्रत्येक घरों का सर्वे कर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी। जिन्हें 15 दिन व उससे अधिक की बीमारी के साथ बुखार रह रहा हो, उन्हें ऐसे मरीजों की पहचान करनी है। अगर ऐसा कोई मरीज मिलता है तो उसे तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराना सुनिश्चित करेंगी। सर्वे रिपोर्ट आशा फैसिलिटेटर को सौंपेंगी। उन्होंने बताया, इस दौरान फाइलेरिया के संभावित मरीजों की भी रिपोर्ट तैयार करनी है। जिसमें हाथीपांव, हाइड्रोसील और अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों की रिपोर्ट  तैयार करनी है।
बालू मक्खी नमी वाले जगहों पर ज्यादा रहती है :
वीबीडीसी राजीव कुमार ने बताया, जहां पर मिट्टी के घर  ज्यादा है, वहां यह रोग अधिक पनपता है। मिट्टी के घरों में नमी के कारण बालू मक्खी शरण लेती है। बालू मक्खी के काटने से ही कालाजार होता है। बालू मक्खी नमी वाले जगहों पर ज्यादा रहती है। इसकी खास बात यह है कि 6 फीट की ऊंचाई  से ज्यादा उड़ नहीं सकती है। ऐसे घरों में रहने वालों पर कालाजार होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि बक्सर जिले के चार प्रखंड के छह गांव में कालाजार के मामले मिले हैं। इनमें सदर प्रखंड के पड़री व छोटका नुआंव, नावानगर प्रखंड का गिरिधर बरांव, चक्की का परसियां तथा सिमरी प्रखंड का बड़का राजपुर गांव शामिल हैं। इन गांवों में नए केस मिलने के बाद लगातार तीन साल तक दवाओं का छिड़काव होना है।


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