(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको लेकर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है। दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। जिसे चिकित्सीय भाषा में ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है। जो आज के दौर में परिवार नियोजन के लिए सबसे बड़ी बाधा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है।
पांच सालों में 0.4 प्रतिशत कम हुई प्रजनन दर :
बीते कुछ वर्षों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम की सफलता धरातल पर दिखने लगी है। जिसके तहत राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार बिहार की कुल प्रजनन दर 3.0 पहुंच गई है। जिसका अर्थ है बिहार में प्रति महिला बच्चों की संख्या 3.0 है। जो पिछले पांच सालों में 0.4 प्रतिशत कम हुई है। हालांकि, इन्हीं सब पहलुओं को देखते हुए सरकार ने जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को विशेष प्रोत्साहित करने के लिए मिशन विकास परिवार शुरू किया था। जिसके तहत गर्भनिरोधक साधनों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया है। इसके लिए आशा एवं एएनएम को प्रत्साहित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया गया है। पहले जहां महिला एवं पुरुष नसबंदी के लिए उत्प्रेरक को 300 रुपये दिये जाते थे, अब प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर प्रति महिला नसबंदी 400 रुपये दिए जा रहे हैं।
सामूहिक सहभागिता जरूरी :
जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, अनमेट नीड परिवार नियोजन में काफी बाधक है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता की जरूरत है। जिसमें अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है। वहीं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार जिले की 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं में कुल 9.1 प्रतिशत अनमेट नीड है। आशय यह है कि जिले में 9.1 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं । जबकि जिले में 3.4 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं जो बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक हैं , लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही हैं।
ये हैं अनमेट नीड के कारण :
- परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता
- सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना
- परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध
- साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियां
- परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएं
- मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी
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