बक्सर । जिले के नावानगर प्रखंड अंतर्गत बेलहरी गांव के किसानों की मुश्किलें इन दिनों बढ़ती जा रही हैं। खलिहानों में धान तैयार पड़ा है, लेकिन पैक्स और व्यापार मंडलों की ओर से समय पर खरीद नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं। मेंथा की बारिश में फसल भीग जाने से धान की गुणवत्ता प्रभावित हुई है, जिससे सहकारी संस्थाएं भी खरीद में टालमटोल कर रही हैं।
किसानों का कहना है कि प्रशासन द्वारा धान खरीद की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर सहकारी समितियों की रफ्तार बेहद धीमी है। जिन किसानों का धान खरीदा भी जा रहा है, उन्हें भुगतान के लिए चार से पांच दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि फसल पकने के समय हुई मेंथा की बारिश से कई खेतों में पानी भर गया, जिससे धान गिर गया और दाना काला पड़ गया। ऐसे धान को साहूकार खुले बाजार में 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लेने की बात कर रहे हैं, जबकि सहकारी समितियों में धान का समर्थन मूल्य 2369 रुपये प्रति क्विंटल तय है। अधिक कीमत की उम्मीद में किसान पैक्स और व्यापार मंडलों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
जिले के 11 प्रखंडों में 113 पैक्सों व व्यापार मंडलों को धान खरीद के लिए अधिकृत किया गया है। अब तक 19 हजार 48 किसानों ने निबंधन कराया है, लेकिन इसके बावजूद खलिहानों में धान पड़ा हुआ है। बेलहरी के किसान रंगजी सिंह और शशि सिंह ने बताया कि दौनी के बाद धान खलिहान में रखा है, लेकिन पैक्स से जुड़े लोग खरीद की पहल नहीं कर रहे हैं।
किसान राजेश सिंह और दशरथ सिंह का कहना है कि धान की खेती में पूरी पूंजी लग चुकी है। अब गेहूं की बुआई के लिए पैसों की जरूरत है, लेकिन धान नहीं बिकने से आगे की खेती पर संकट खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि सरकार किसानों के हित में योजनाओं की घोषणा करती है, लेकिन प्रखंड स्तर पर अमल नहीं हो रहा।
धान बिक्री के बाद भुगतान में हो रही देरी भी किसानों की परेशानी बढ़ा रही है। भदार गांव के किसान दीपक सिंह ने बताया कि धान बेचने के बाद भुगतान के लिए पांच दिन तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं, डुमरांव व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि धान खरीद के बाद एडवाइस एसएफसी को भेजी जाती है, जिसके बाद किसानों के खाते में राशि जाती है। फिलहाल कुछ विलंब है, लेकिन खरीद की रफ्तार बढ़ने के साथ स्थिति सुधरेगी।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार अब तक जिले में सहकारी समितियों के माध्यम से 53 हजार 735 क्विंटल 32 किलोग्राम धान की खरीद हो चुकी है। खरीद में तेजी लाने के प्रयास जारी हैं, ताकि खलिहानों में पड़ा धान जल्द बिक सके और किसानों को राहत मिल सके।
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