- मेथोडिस्ट अस्पताल के अधीक्षक ने गर्भती महिलाओं को पौष्टिक खानपान की दी सलाह
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज):- गर्भावस्था और प्रसव किसी भी महिला के लिए एक अलग एहसास होता है। यह सुखद एहसास और भी बढ़ जाता है, जब प्रसव के बाद सुरक्षित और तंदरुस्त शिशु का जन्म होता है। लेकिन, इस सुखद अनुभूति के लिए गर्भवती महिलाओं को शुरुआत से लेकर प्रसव के बाद भी खानपान और पौष्टिक आहार का विशेष ध्यान रखना होगा। तभी, जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहेंगे। आइए जानते है सुरक्षित प्रसव और बेहतर स्वास्थ्य के लिए हम जिले के प्रतापसागर स्थित मेथोडिस्ट अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरके सिंह का क्या कहना है...
डॉ. आरके सिंह ने कहा, गर्भावस्था के दौरान चार प्रसव पूर्व जांच एवं टिटनेस का टीका सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी होता है। समय पर प्रसव पूर्व जांच नहीं होने एवं बेहतर पोषण के अभाव में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी से महिला की शारीरिक स्थिति कमजोर हो जाती है। जिसके कारण पैदा होने वाला बच्चा कमजोर होता है, और कुपोषण का शिकार हो सकता है। ऐसी स्थिति न पैदा हो इसके लिए गर्भवती महिला को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है।
आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करना चाहिए। एनीमिक से बचाव के लिए हरी साग- सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल, भूना हुआ चना एवं गुड़ खाना भी जरूरी है। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाना चाहिए।
डॉ. आरके सिंह ने बताया, आखिरी महीने में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन विटामिन कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ वसा की भी मात्रा होना जरूरी होता है। इसके लिए समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को साप्ताहिक पुष्टाहार भी वितरित किया जाता है। इसके साथ महिलाएं अपने घर में आसानी से उपलब्ध भोज्य पदार्थों के सेवन से भी अपने पोषण का ख्याल आसानी से रख सकती है। साथ ही शिशुओं के बेहतर पोषण के लिए शिशु जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने के साथ छह माह तक केवल मां का दूध पिलाना चाहिए। छह माह के बाद ही बच्चों के लिए ऊपरी आहार उत्तम माना जाता है।
प्रसव-पूर्व देखभाल को लेकर जारी सलाह :
- रूटीन चेक-अप के लिए नियमित रूप से अस्पताल जाएं।
- गर्भावस्था के दौरान जटिलता होने की दशा में चिकित्सक से फोन पर बात करें एवं समय मिलने पर चिकित्सक के साथ अकेले में मिलें।
- खान-पान पर विशेष ध्यान दें। आहार में प्रोटीन, विटामिन एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को शामिल करें।
- आटोमेटिक ब्लड प्रेशर मशीन से नियमित तौर पर घर पर ही रक्तचाप रिकॉर्ड करें।
- घर में ही अपना वजन भी रिकॉर्ड करें।
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