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मानिकपुर की सलोनी और आदित्या को मिल रहा पोषण पुनर्वास केंद्र में समुचित इलाज- manikpur-simri




- सिमरी सीडीपीओ की पहल पर दो कुपोषित बच्चों को का किया जा रहा उपचार

- व्यापक स्तर पर चलाया जायेगा सिमरी के सभी आंगनबाड़ी केंद्र अंतर्गत कुपोषित बच्चों की खोज के लिये अभियान

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- कुपोषण के खिलाफ जिले में एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग व स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई अभियान चलाये जा रहे हैं। बावजूद इसके जिले में अब भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। जो चिंता का विषय है। जो कहीं न कहीं माताओं में जागरूकता की कमी को दर्शाता है। हालांकि, विभागीय तत्परता के कारण बच्चों का इलाज समय पर कराया जाता है। जिससे बच्चे कुपोषण को मात देने में सफल हो रहे हैं। लेकिन, इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो इसके लिये माताओं को गर्भावस्था के दौरान से ही ध्यान देना होगा। ऐसा ही मामला सिमरी परियोजना के केशोपुर पंचायत में देखने को मिला। जहां पर सीडीपीओ ने आरोग्य दिवस के दौरान दो बच्चों को कुपोषित पाया। जिसके बाद उन्होंने बच्चों की जांच की और फिर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) रेफर कराया। जहां पर उनका इलाज शुरू हो चुका है।
दोनों बच्चे कुपोषण के हैं शिकार :
सिमरी सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव है। जिसके कारण बच्चे या गर्भवती महिलायें कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मानिकपुर स्थित कोड संख्या सात की सेविका सरिता देवी ने उन्हें जनवरी माह में ही अवगत कराया था कि उनके इलाके के दो तीन शिशुओं में कुपोषण के लक्षण दिख रहे हैं। आरोग्य दिवस के अवसर पर उन्होंने उन बच्चों का अवलोकन किया, तो दोनों बच्चे कुपोषित मिले। उन्होंने शिशुओं की माताओं को पीएचसी जाकर जांच कराने की सलाह दी। लेकिन, दोनों बच्चों के अभिभावकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। जब उन्हें पता चला कि बच्चों की जांच अब तक नहीं कराई गई, तब उन्होंने मामले को गंभीरतापूर्वक लिया। फिर दोनों बच्चों की माताओं से मिलने के लिये पहुंची। जहां उन्होंने काफी मशक्कत के बाद माताओं को शिशुओं का इलाज कराने के लिये मनाया।
अनियमित रूप से स्तानपान करते थे बच्चे :
सेविका सरिता देवी ने बताया, बैजू यादव की पत्नी मनू देवी ने तीन माह पूर्व सलोनी को जन्म दिया था। वहीं, जितेंद्र राय व संध्या राय का आदित्य अब चार माह का हो चुका है। दोनों बच्चे शुरुआती दिनों में पोषित दिख रहे थे। गृह भ्रमण के दौरान दोनों बच्चों के अवलोकन में उन्होंने पाया कि दोनों बच्चे सामान्य बच्चों की तरह नहीं हैं। उनके उम्र के हिसाब से न तो उनकी लंबाई नहीं थी और वे दुबले पतले दिखने लगे। दोनों बच्चे अनियमित रूप से स्तनपान करते थे। जिसके कारण वे कुपोषण की चपेट में आ गये। जिसके बाद कई बाद उनकी माताओं और परिजनों को चिकित्सक के पास ले जाने की सलाह दी गई। लेकिन, उन्होंने बात नहीं मानी।
एनआरसी में बच्चों का किया जाता है नि:शुल्क इलाज :
‘कुपोषण की इस स्थिति से निबटने के लिए सदर अस्पताल में एनआरसी स्थापित किया गया है। एनआरसी में पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। यहां रखा गया कोई बच्चा 14 दिनों में कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाता है, तो वैसे बच्चों को एक माह तक यहां रख कर विशेष देखभाल की जाती है। इलाज व स्पेशल डाइट तैयार की जाती है। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाता है। यह आहार शुरुआती दौर में 2-2 घंटे बाद दिया जाता है। पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती है। भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही यहां से डिस्चार्ज किया जाता है। एनआरसी से बच्चे की छुट्टी होने के बाद बच्चे का 4 बार फॉलोअप किया जाता है।‘ – डॉ. अनिल भट्‌ट, एसीएमओ, बक्सर







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