बक्सर । महाशिवरात्रि पर शिव विवाह को लेकर आचार्यों एवं विद्वानों में अलग अलग विचारों का जंग छिड़ा हुआ है. बता दें कि बीते कुछ वर्षों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है. खासतौर पर सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि को हुआ था. चूंकि 26 फरवरी यानी आज बुधवार को ही महाशिवरात्रि है, इसलिए एक बार फिर से यह चर्चा तेजी से होने लगी है. बक्सर के प्रसिद्ध आचार्य पंडित शत्रुंजय ओझा ने इस भ्रम का निराकरण करने की कोशिश की है. उन्होंने सनातन धर्म को मानने वालों से आग्रह किया कि इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह ना करें. बल्कि इस तिथि पर शिवलिंग के प्रकटोत्सव मनाए. उन्होंने अग्निपुराण का हवाला देते हुए कहा कि महाशिवरात्रि पर्व भोग एवं मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत होता है. इसमें रात्रि जागरण एवं शिवपूजन किया जाता है.
आचार्य पंडित शत्रुंजय ओझा के मुताबिक देवाधिदेव भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि महाशिवरात्रि है ही नहीं. उन्होंने शिव पुराण के 35वें अध्याय में रूद्र संहिता के हवाले से बताया कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की रोहिणी नक्षत्र द्वितीया को हुआ था. उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों से एक गलत परंपरा शुरू हो गई है. इसमें महाशिवरात्रि को ही भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तारीख बताया जा रहा है. यही वजह है कि बीते कुछ समय से महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात निकाली जाने लगी है. जगह जगह शिव पार्वती के विवाह का उत्सव मनाया जाता है. इससे सनातन धर्मावलंबियों में भ्रम पैदा हो गई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सनातन धर्म के मानने वालों को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. आचार्य शत्रुंजय ओझा ने अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए शिव महापुराण, श्री लिंग पुराण, श्री स्कंद पुराण आदि का प्रमाण दिया और दावा किया कि मार्गशीर्ष के महीने में कृष्णपक्ष की द्वितीया तिथि और दिन सोमवार को ही भगवान शिव का विवाह हुआ.
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